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“जिन्दगी या मौत “एक मर्मस्पर्शी कविता….

aaj ka bharat
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“जिन्दा” थे तो किसी ने पास बैठाया नहीं,!
अब खुद मेरे चारो और बैठे जा रहे हो,!!
पहले किसी ने मेरा हाल ना पूछा,!
अब आंसू बहाय जा रहे हो ,!!
एक रूमाल भेंट नहीं किया जब हम ज़िंदा थे ,!
अब शालें और कपडे ऊपर से ओडाये जा रहे हो,!!
सबको पता है की शालें और कपडे इसके काम के नहीं ,!
मगर फिर भी बेचारे दुनिया दारी निभाए जा रहें हैं ,!!
कभी किसी ने एक वक़्त का खाना तक नहीं खिलाया,!
अब देसी घी मेरे मुंह में डाले जा रहे हैं ,!!
“जिन्दगी” में एक कदम भी साथ ना चल सका कोई ,!
अब फूलों से सजाकर कंधे पर उठाये जा रहे हैं !!
आज पता चला की मौत -जिन्दगी से बेहतर है !
हम तो बे वजह ही जिन्दगी की चाहत किये जा रहें हैं !!
oldman

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